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त्राटक साधना: एकाग्रता और आत्मज्ञान का रहस्य

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त्राटक साधना ब्लॉग कवर पेज – दीपक की लौ और ध्यान मुद्रा में साधक, शीर्षक: त्राटक साधना – ध्यान और एकाग्रता की अद्भुत यात्रा।

अध्याय 1: त्राटक का अर्थ और महत्व

त्राटक का शाब्दिक अर्थ है—टकटकी लगाकर देखना। यह केवल देखने की साधारण क्रिया नहीं है, बल्कि यह मन और आत्मा को स्थिर करने की एक गहन साधना पद्धति है।

योगशास्त्र में त्राटक को षट्कर्मों (शरीर और मन की शुद्धि के छह उपाय) में से एक माना गया है। साधक जब बिना पलक झपकाए किसी बिंदु, दीपक की लौ, चित्र या आकाश की शून्यता पर दृष्टि जमाता है, तो उसकी आँखें स्थिर होती हैं और साथ ही उसका मन शांत और एकाग्र होने लगता है।

आधुनिक जीवन में जहाँ मन हजारों दिशाओं में भटकता है, त्राटक साधना मानसिक एकाग्रता, स्मरणशक्ति और आंतरिक शांति पाने का सरल और प्रभावशाली उपाय है।


"त्राटक यंत्र – ध्यान और एकाग्रता साधना के लिए उपयोग किया जाने वाला पारंपरिक बिंदु यंत्र।"

अध्याय 2: प्राचीन योगशास्त्र में त्राटक की भूमिका

त्राटक का उल्लेख अनेक योगिक ग्रंथों में मिलता है।

  • हठयोग प्रदीपिका (स्वात्माराम योगी) में कहा गया है:
    “त्राटकं निरिक्शनं नयनं न मिलयेत। अश्रुवत परं ज्ञानं त्राटकात् लभ्यते ध्रुवम्॥”
    अर्थात, त्राटक करने से आँखों से आँसू बहते हैं, और उसके बाद साधक को अद्भुत ज्ञान प्राप्त होता है।
  • घेरण्ड संहिता में कहा गया है कि त्राटक साधना से नेत्र ज्योति बढ़ती है और मानसिक विकार दूर होते हैं।

प्राचीन ऋषि-मुनि त्राटक को केवल ध्यान की तैयारी नहीं मानते थे, बल्कि इसे अध्यात्मिक दृष्टि (Divine Vision) और तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) के जागरण का प्रवेश द्वार समझते थे।

🕉️ त्राटक साधना के लिए विशेष यंत्र


Tratak Yantra for meditation and concentration – traditional Indian tool for dhyana and tratak sadhana

अध्याय 3: त्राटक और ध्यान का संबंध

त्राटक और ध्यान का गहरा संबंध है।

  • ध्यान की शुरुआत में सबसे बड़ी बाधा है—मन की चंचलता
  • त्राटक साधना इस चंचलता को नियंत्रित करती है।
  • जब साधक किसी बिंदु पर लगातार दृष्टि जमाता है, तो धीरे-धीरे बाहरी दृष्टि भीतर की ओर मुड़ने लगती है।

त्राटक की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. आँखें स्थिर होती हैं →
  2. विचार धीमे होते हैं →
  3. मन शांत होता है →
  4. ध्यान की गहराई उत्पन्न होती है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि त्राटक ध्यान का प्रवेश द्वार है।


त्राटक साधना हेतु केंद्रित बिंदु वाला यंत्र, मानसिक एकाग्रता और चित्त की स्थिरता के लिए प्रयोग किया जाने वाला ध्यान उपकरण।

अध्याय 4: बाह्य त्राटक (External Tratak)

बाह्य त्राटक में साधक किसी बाहरी वस्तु पर दृष्टि केंद्रित करता है। इसके प्रमुख प्रकार हैं:

  1. दीप त्राटक (Candle Gazing):
    • साधक सामने जलते दीपक की लौ पर दृष्टि जमाता है।
    • लौ की स्थिरता से मन भी स्थिर होता है।
    • यह सबसे लोकप्रिय और प्रभावी त्राटक है।
  2. चित्र त्राटक:
    • इसमें किसी देवी-देवता की मूर्ति, मंत्र-चिह्न (ॐ, स्वस्तिक), या किसी आध्यात्मिक प्रतीक पर दृष्टि केंद्रित की जाती है।
    • साधक को प्रतीक के साथ गहरा भावनात्मक संबंध महसूस होता है।
  3. बिंदु त्राटक (Dot Tratak):
    • सफेद कागज़ पर काले बिंदु या दीवार पर बनाई गई किसी छोटी गोल बिंदी पर दृष्टि जमाई जाती है।
    • यह साधना मन को एकाग्र करने में सबसे सरल और प्रभावी मानी जाती है।

Traditional Tratak Yantra used for concentration, third eye meditation, and inner awareness.

अध्याय 5: आंतरिक त्राटक (Internal Tratak)

आंतरिक त्राटक में साधक बाहरी वस्तु की जगह अपनी आंतरिक चेतना पर ध्यान केंद्रित करता है।

  1. आज्ञा चक्र त्राटक:
    • भ्रूमध्य (दोनों भौंहों के बीच का स्थान) पर दृष्टि और ध्यान केंद्रित किया जाता है।
    • यह तीसरी आँख (Third Eye) के जागरण की साधना है।
    • साधक को अंतर्ज्ञान (Intuition) और गहन आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।
  2. शून्य त्राटक (Void Tratak):
    • इसमें साधक अंधेरे कमरे में शून्य या रिक्त स्थान को देखता है।
    • धीरे-धीरे उसे भीतर गहन निस्तब्धता और ध्यान का अनुभव होने लगता है।


त्राटक यंत्र – मानसिक एकाग्रता और स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए ध्यान साधना का साधन।

अध्याय 6: त्राटक की तैयारी (स्थान, समय, मुद्रा)

त्राटक साधना करने से पहले उचित तैयारी आवश्यक है। सही वातावरण और अनुशासन साधना की सफलता को कई गुना बढ़ा देते हैं।

(क) स्थान का चयन:

  • त्राटक हमेशा शांत, स्वच्छ और हवादार स्थान पर करें।
  • यदि संभव हो तो एक ही स्थान पर रोज़ साधना करें ताकि वहाँ साधना की ऊर्जा संचित हो सके।
  • स्थान पर हल्की सुगंध (अगरबत्ती/धूप) का उपयोग मन को शांति प्रदान करता है।

(ख) समय का चयन:

  • त्राटक के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है प्रातः ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे के बीच) और रात्रि सोने से पूर्व
  • इन समयों पर वातावरण शांत होता है और मन भी अपेक्षाकृत स्थिर होता है।

(ग) मुद्रा (Posture):

  • साधना करते समय पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में बैठें।
  • रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  • हाथ ज्ञानमुद्रा में रखें।
  • शरीर स्थिर और आरामदायक होना चाहिए।

(घ) अन्य तैयारी:

  • त्राटक करते समय ढीले और हल्के वस्त्र पहनें।
  • भोजन के तुरंत बाद साधना न करें।
  • नेत्रों को पानी से धो लें ताकि आँखों में जलन न हो।

त्राटक यंत्र – ध्यान का बिंदु, जहाँ से शुरू होती है आत्मिक यात्रा

अध्याय 7: त्राटक अभ्यास की चरणबद्ध विधि

यहाँ त्राटक साधना की एक सामान्य और सुरक्षित विधि दी जा रही है:

चरण 1: तैयारी

  • स्थान, समय और मुद्रा का ध्यान रखें।
  • सामने दीपक या बिंदु रखें (यदि बाह्य त्राटक कर रहे हैं)।

चरण 2: दृष्टि केंद्रित करना

  • बिना पलक झपकाए, धीरे-धीरे उस बिंदु या दीपक की लौ को देखना शुरू करें।
  • प्रारंभ में 1-2 मिनट तक ही करें।

चरण 3: अश्रु प्रवाह

  • कुछ समय बाद आँखों से हल्के आँसू आने लगेंगे। यह आँखों की शुद्धि का संकेत है।
  • आँसू आने तक दृष्टि केंद्रित रखें।

चरण 4: नेत्र बंद करना

  • अब धीरे-से आँखें बंद करें और वही बिंदु भीतर (भ्रूमध्य में) कल्पना करें।
  • जितना संभव हो उतनी देर तक इस आंतरिक दृश्य को देखें।

चरण 5: विश्रांति

  • अंत में आँखें धीरे-धीरे खोलें और कुछ क्षण विश्राम करें।
  • साधना पूरी होने पर कुछ देर ध्यान या प्राणायाम करें।

अवधि (Duration):

  • शुरुआत में 2-3 मिनट प्रतिदिन करें।
  • धीरे-धीरे अभ्यास को 10-15 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।

अध्याय 8: त्राटक के नियम और सावधानियाँ

त्राटक साधना सरल है लेकिन इसे सही विधि और सावधानी से करना आवश्यक है।

नियम:

  1. प्रतिदिन एक ही समय और स्थान पर करें।
  2. साधना में निरंतरता रखें, बीच-बीच में छोड़ने से लाभ नहीं होगा।
  3. साधना करते समय मन को शांत और सकारात्मक रखें।
  4. प्रारंभ में केवल 1 प्रकार का त्राटक ही करें (जैसे दीप त्राटक)।

सावधानियाँ:

  • यदि आँखों में दर्द, जलन या अत्यधिक थकान हो तो तुरंत साधना रोक दें।
  • चश्मा लगाने वाले साधक भी कर सकते हैं, लेकिन अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
  • बच्चों और कमजोर नेत्रों वाले व्यक्तियों को प्रारंभ में केवल 30–60 सेकंड तक ही करना चाहिए।
  • साधना को जबरदस्ती न करें, सहज भाव से करें।
  • गर्भवती स्त्रियाँ केवल हल्का और सरल त्राटक करें।


त्राटक यंत्र – तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) जागरण की साधना में उपयोग किया जाने वाला ध्यान उपकरण।

अध्याय 9: मानसिक एकाग्रता और स्मरणशक्ति में वृद्धि

त्राटक साधना का सबसे बड़ा लाभ है मानसिक एकाग्रता
आधुनिक जीवन में मन निरंतर भटकता रहता है। मोबाइल, इंटरनेट, शोरगुल और काम की भागदौड़ के कारण ध्यान की क्षमता घटती जाती है।

त्राटक साधना से:

  1. मन एक बिंदु पर ठहरना सीखता है।
  2. पढ़ाई और कार्य में ध्यान केंद्रित करना आसान होता है।
  3. स्मरणशक्ति (Memory Power) तेज़ होती है।
  4. निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

विशेषकर विद्यार्थी और ऑफिस में काम करने वाले लोगों के लिए त्राटक पढ़ाई और काम में सफलता का अद्भुत साधन है।


अध्याय 10: आध्यात्मिक अनुभव और तीसरी आँख का जागरण

त्राटक साधना केवल मानसिक लाभ तक सीमित नहीं है, यह साधक को आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक ले जाती है।

  • जब साधक लंबे समय तक भ्रूमध्य (आज्ञा चक्र) पर त्राटक करता है, तो धीरे-धीरे उसकी तीसरी आँख (Third Eye) सक्रिय होने लगती है।
  • तीसरी आँख के जागरण से साधक को गहन अंतर्ज्ञान (Intuition) और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।
  • साधना के दौरान आंतरिक प्रकाश, आकृतियाँ और रंग दिखाई देना साधक की प्रगति के संकेत हैं।
  • धीरे-धीरे साधक का मन सांसारिक विकारों से हटकर आत्मज्ञान की ओर बढ़ने लगता है।

प्राचीन ऋषि-मुनियों ने कहा है कि त्राटक साधना मनुष्य को इंद्रिय नियंत्रण, आत्म-चिंतन और ईश्वर साक्षात्कार तक पहुँचा सकती है।


अध्याय 11: स्वास्थ्य लाभ (नेत्र ज्योति, तनाव मुक्ति, नींद सुधार)

त्राटक साधना केवल मानसिक और आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है।

(क) नेत्र ज्योति में वृद्धि

  • नियमित दीप त्राटक से आँखों की मांसपेशियाँ मज़बूत होती हैं।
  • दृष्टि तेज़ होती है और चश्मे का नंबर धीरे-धीरे कम हो सकता है।
  • आँखों की थकान और जलन दूर होती है।

(ख) तनाव और चिंता से मुक्ति

  • त्राटक साधना मन को शांत करती है।
  • नकारात्मक विचार धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
  • तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं में लाभकारी है।

(ग) नींद में सुधार

  • नियमित अभ्यास से अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
  • गहरी और शांत नींद आती है।
  • साधक सुबह तरोताज़ा महसूस करता है।

(घ) अन्य लाभ

  • एकाग्रता से कार्यक्षमता (Productivity) बढ़ती है।
  • सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याओं में कमी आती है।
  • चेहरे पर तेज़ और आभा बढ़ने लगती है।


Tratak Yantra – tool for dhyana, spiritual awakening, and higher consciousness.

अध्याय 12: आधुनिक मनोविज्ञान की दृष्टि से त्राटक

आधुनिक मनोविज्ञान यह मानता है कि मनुष्य का मन दो स्तरों पर काम करता है:

  1. सचेतन मन (Conscious Mind): जो वर्तमान कार्यों और विचारों को नियंत्रित करता है।
  2. अवचेतन मन (Subconscious Mind): जहाँ गहरी स्मृतियाँ, भावनाएँ और आदतें संग्रहित रहती हैं।

त्राटक साधना सीधे अवचेतन मन पर प्रभाव डालती है।

  • जब साधक एक बिंदु पर लंबे समय तक दृष्टि जमाता है, तो उसके सचेतन विचार धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं।
  • यही शांति अवचेतन मन के द्वार खोल देती है।
  • इस स्थिति में व्यक्ति अपने भीतर छिपी शक्तियों (जैसे रचनात्मकता, अंतर्ज्ञान, स्मृति) को जागृत कर सकता है।

मनोविज्ञान के अनुसार त्राटक हिप्नोसिस (Hypnosis) जैसी अवस्था उत्पन्न करता है, लेकिन अंतर यह है कि यह स्व-नियंत्रित और सकारात्मक अभ्यास है।


अध्याय 13: मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव

वैज्ञानिक दृष्टि से त्राटक साधना का सीधा संबंध नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) और ब्रेनवेव्स (मस्तिष्क तरंगों) से है।

  • सामान्य अवस्था में मस्तिष्क बीटा वेव्स (तेज़ तरंगें) पर काम करता है, जिससे तनाव और अशांति बनी रहती है।
  • त्राटक के अभ्यास से मस्तिष्क धीरे-धीरे अल्फा वेव्स में प्रवेश करता है।
  • अल्फा वेव्स का संबंध शांति, रचनात्मकता और ध्यान से है।

तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव:

  • आँखों की नसें सीधा मस्तिष्क से जुड़ी होती हैं।
  • जब साधक दृष्टि को स्थिर करता है, तो यह संकेत तंत्रिका तंत्र को भेजा जाता है, जिससे मन और शरीर दोनों शांत हो जाते हैं।
  • त्राटक से Parasympathetic Nervous System सक्रिय होता है, जो तनाव घटाता है और शरीर को आराम देता है।

अध्याय 14: वैज्ञानिक शोध और प्रयोग

पिछले कुछ दशकों में त्राटक पर अनेक वैज्ञानिक शोध किए गए हैं। उनमें से कुछ मुख्य निष्कर्ष:

  1. नेत्र स्वास्थ्य पर शोध:
    • भारत और विदेशों में किए गए प्रयोगों से पता चला है कि नियमित दीप त्राटक करने वाले साधकों की आँखों की रोशनी बेहतर पाई गई।
    • नेत्रों की थकान और कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम (Computer Vision Syndrome) में लाभदायक सिद्ध हुआ।
  2. मनोवैज्ञानिक शोध:
    • त्राटक साधना करने वाले छात्रों की स्मरणशक्ति और परीक्षा परिणाम सामान्य छात्रों से बेहतर पाए गए।
    • एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता (Mental Clarity) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
  3. मस्तिष्क तरंगों पर शोध:
    • EEG (Electroencephalogram) से पता चला कि त्राटक साधना करने वालों के मस्तिष्क में अल्फा और थीटा वेव्स की मात्रा बढ़ी।
    • यह स्थिति गहरे ध्यान और रचनात्मकता से जुड़ी होती है।

इन शोधों से स्पष्ट होता है कि त्राटक केवल आध्यात्मिक साधना नहीं है, बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टि से भी प्रमाणित और उपयोगी तकनीक है।



अध्याय 15: विद्यार्थियों के लिए त्राटक

आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में विद्यार्थी सबसे अधिक दबाव में रहते हैं। पढ़ाई, परीक्षा और करियर की चिंता उन्हें मानसिक रूप से थका देती है।

विद्यार्थियों के लिए त्राटक के विशेष लाभ:

  1. एकाग्रता में वृद्धि – पढ़ाई में मन भटकता नहीं है।
  2. स्मरणशक्ति तेज़ – सीखी हुई बातें लंबे समय तक याद रहती हैं।
  3. तनाव कम – परीक्षा का डर और चिंता घटती है।
  4. रचनात्मकता का विकास – नए विचार और समाधान खोजने की क्षमता बढ़ती है।

👉 विद्यार्थी यदि प्रतिदिन केवल 5–10 मिनट दीप त्राटक करें, तो उनकी पढ़ाई और परिणामों में अद्भुत सुधार हो सकता है।


अध्याय 16: तनाव प्रबंधन में त्राटक की भूमिका

आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी समस्या है तनाव (Stress)
तनाव से मानसिक रोग, नींद की समस्या, हृदय रोग और संबंधों में खटास तक पैदा हो जाती है।

त्राटक तनाव कम करने का एक प्राकृतिक और सरल उपाय है:

  • यह मस्तिष्क को शांति देता है।
  • मन के बिखरे विचार एक बिंदु पर केंद्रित हो जाते हैं।
  • साधक वर्तमान क्षण (Present Moment) में जीना सीखता है।
  • नियमित अभ्यास से Cortisol (Stress Hormone) का स्तर घटता है।

👉 कंपनियों और ऑफिसों में कॉर्पोरेट योग के तहत त्राटक का अभ्यास करवाया जाता है, जिससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।


त्राटक यंत्र – योग और ध्यान साधना के अध्याय में प्रदर्शित पारंपरिक प्रतीक

अध्याय 17: आत्म-विकास और व्यक्तित्व निर्माण में त्राटक

त्राटक साधना केवल मन और आँखों को ही नहीं, बल्कि पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करती है।

आत्म-विकास में त्राटक के योगदान:

  1. आत्मविश्वास (Self-Confidence):
    • साधक का चेहरा तेजस्वी और आकर्षक हो जाता है।
    • आँखों में गहराई और चमक आ जाती है।
  2. आत्म-अनुशासन (Self-Discipline):
    • रोज़ अभ्यास करने से जीवन में नियमितता आती है।
    • व्यक्ति आलस्य और टालमटोल की आदत से मुक्त होता है।
  3. सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Thinking):
    • साधक के विचारों में स्थिरता आती है।
    • नकारात्मकता घटती है और आत्मबल बढ़ता है।
  4. संपूर्ण व्यक्तित्व विकास:
    • त्राटक करने वाले व्यक्ति में शांति, गंभीरता और आकर्षण स्वाभाविक रूप से झलकने लगता है।
    • लोग उसके साथ सहज रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं।


अध्याय 18: चक्र जागरण और त्राटक

योगशास्त्र के अनुसार मानव शरीर में सात प्रमुख चक्र (ऊर्जा केंद्र) होते हैं।
त्राटक साधना विशेष रूप से आज्ञा चक्र (भ्रूमध्य) और सहस्रार चक्र पर प्रभाव डालती है।

  • आज्ञा चक्र: भ्रूमध्य (दोनों भौंहों के बीच) स्थित।
    • त्राटक साधना करते समय जब साधक इस बिंदु पर दृष्टि केंद्रित करता है, तो धीरे-धीरे आज्ञा चक्र सक्रिय होता है।
    • इसके परिणामस्वरूप साधक की अंतर्ज्ञान शक्ति (Intuition Power) बढ़ती है।
    • साधक को अदृश्य जगत का अनुभव होने लगता है।
  • सहस्रार चक्र: सिर के शीर्ष पर स्थित।
    • जब साधक का ध्यान गहन हो जाता है, तो सहस्रार चक्र की ओर ऊर्जा प्रवाहित होती है।
    • यह अवस्था ईश्वर से एकत्व और समाधि की ओर ले जाती है।

👉 इस प्रकार त्राटक केवल मानसिक या शारीरिक साधना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का द्वार भी है।


अध्याय 19: समाधि की ओर यात्रा

त्राटक साधना धीरे-धीरे साधक को ध्यान (Meditation) की गहराई तक ले जाती है।

  • प्रारंभ में साधक केवल लौ या बिंदु को देखता है।
  • फिर वही बिंदु उसकी आंतरिक दृष्टि (Inner Vision) में प्रकट होने लगता है।
  • कुछ समय बाद साधक बिंदु में विलीन हो जाता है — यह अवस्था धारणा से ध्यान की ओर यात्रा है।
  • निरंतर अभ्यास से साधक अंततः समाधि की स्थिति को प्राप्त कर सकता है, जहाँ मन पूर्ण रूप से शांत और निश्चल हो जाता है।

समाधि का अनुभव ही वास्तविक आत्मज्ञान और मोक्ष की दिशा है।


अध्याय 20: निष्कर्ष – त्राटक साधना का संदेश

त्राटक साधना प्राचीन भारतीय योगविद्या की एक अनमोल धरोहर है।
यह साधना —

  • आँखों की ज्योति बढ़ाती है,
  • मन को एकाग्र करती है,
  • तनाव को दूर करती है,
  • और साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।

आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में त्राटक साधना एक सरल, सुलभ और प्रभावशाली उपाय है।
चाहे विद्यार्थी हो, गृहस्थ हो, या साधक — हर कोई प्रतिदिन कुछ ही मिनट त्राटक करके अपने जीवन में शांति, ऊर्जा और सफलता ला सकता है।

संदेश:
“त्राटक केवल आँखों का अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है। यह हमें भीतर के प्रकाश से जोड़ता है और उसी प्रकाश में जीवन की सभी समस्याओं का समाधान छिपा है।”


🙏 उपसंहार

इस पुस्तक “त्राटक साधना: एकाग्रता और आत्मज्ञान का रहस्य” में हमने त्राटक के इतिहास, प्रकार, विधि, लाभ, वैज्ञानिक प्रमाण, जीवनशैली और आध्यात्मिक महत्व को विस्तार से समझा।

अब समय है कि आप भी इस अद्भुत साधना को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ और प्रत्यक्ष अनुभव करें।

🌺 त्राटक साधना करें, मन को स्थिर करें और आत्मा के प्रकाश को पहचानें।

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